बदायूं: राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों को रेफर करने का खेल जारी, कई मरीजों की रास्ते में मौत


बदायूं। राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों को रेफर करने का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। शासन के स्पष्ट आदेशों के बावजूद यहां रोजाना आठ से दस मरीजों को रेफर किया जा रहा है। कई मरीजों की गंभीर स्थिति के कारण उन्हें रेफर किया जाता है, लेकिन कुछ मरीजों को वक्त पर इलाज न मिलने के कारण रास्ते में ही दम तोड़ना पड़ता है।

शासन के आदेशों की अनदेखी

शासन का स्पष्ट आदेश है कि जो भी मेडिकल कॉलेज मरीज को रेफर करेगा, तो संबंधित विभागाध्यक्ष को इसका कारण स्पष्ट करना होगा। लेकिन राजकीय मेडिकल कॉलेज में इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है।

पिछले दिनों हुई थी शिकायत

पिछले दिनों भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश सक्सेना ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भेजकर राजकीय मेडिकल कॉलेज में व्याप्त अव्यवस्थाओं की शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि यहां आईसीयू वार्ड बंद रहता है, सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं, लिफ्ट बंद हैं, और शौचालयों में ताले लटके रहते हैं।

मरीजों की पीड़ा

अलापुर निवासी रामवीर ने बताया कि दो मार्च को वह अपने चाचा की तबीयत खराब होने पर मेडिकल कॉलेज लाए थे। यहां डॉक्टरों ने देखते ही उन्हें सैफई रेफर कर दिया। रुपये के अभाव में वह उन्हें निजी अस्पताल नहीं ले जा सके।

निमठोली निवासी बृजेश ने बताया कि रिश्तेदार की हालत खराब होने पर मेडिकल कॉलेज लेकर आए तो यहां जिला अस्पताल से भी खराब व्यवस्थाएं देखने को मिलीं। डॉक्टर मरीज को देखने तक नहीं हैं और इलाज करने के बजाय रेफर कर देते हैं।

एक माह में 7 मरीजों की मौत

एक माह की पड़ताल में सामने आया है कि यहां रेफर होने के बाद सैफई तक ले जाते समय चार मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा, एक मार्च से 24 मार्च तक 210 मरीजों को गंभीर बताकर सैफई और अलीगढ़ रेफर किया गया, इनमें से सात की रास्ते में ही मौत हो गई।

प्राचार्य का बयान

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एनसी प्रजापति का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में सभी मरीजों को बेहतर उपचार दिया जा रहा है। किसी मरीज की स्थिति ज्यादा गंभीर होने पर ही उसे रेफर किया जाता है। उनका प्रयास रहता है कि मरीज को बेहतर इलाज मिल सके। कुछ डॉक्टरों की कमी है, इसके दूर होते ही और ज्यादा सुधार हो सकेगा।

यह है मामला गंभीर

यह मामला गंभीर है क्योंकि यह मरीजों के जीवन से जुड़ा हुआ है। सरकार को इस मामले की जांच करवाकर दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की कमी को दूर कर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.

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