बदायूँ शहर: नालों के किनारे बसा एक संघर्षशील नगर ?

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बदायूँ, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर, आज अपने बुनियादी ढांचे की चुनौतियों से जूझ रहा है। कहा जाता है कि यह शहर सड़कों के किनारे नहीं, बल्कि नालों के किनारे बसा है। यह कथन शहर की वर्तमान स्थिति को बखूबी बयां करता है।

मधुबन कॉलोनी, जो कभी शहर का एक आकर्षक रिहायशी इलाका हुआ करता था, आज बदहाल सड़कों और अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था

से परेशान है। बारिश के मौसम में यह क्षेत्र कीचड़ और गंदगी का अड्डा बन जाता है, जिससे स्थानीय निवासियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।

शहर का प्रसिद्ध 6 रोड्स लेन, जो की एक व्यापार और अन्या गतिविधियों का केंद्र है, आज अधूरी सड़क निर्माण परियोजनाओं का शिकार है। बारिश के दौरान यह क्षेत्र जलभराव की समस्या से ग्रस्त हो जाता है, जिससे यातायात बाधित होता है और व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

पथिक चौक, जो शहर का एक महत्वपूर्ण चौराहा है, भी इन समस्याओं से अछूता नहीं है। अपर्याप्त सीवर लाइनों के कारण, बारिश के मौसम में यह स्थान कचरे और गंदे पानी का जमावड़ा बन जाता है, जो न केवल यातायात को बाधित करता है बल्कि स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी पैदा करता है।

बदायूँ के इन हालातों ने शहर के विकास पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि प्रशासन तत्काल कार्रवाई करे और शहर के बुनियादी ढांचे में सुधार लाए, ताकि बदायूँ फिर से अपनी पुरानी शान को प्राप्त कर सके।

यह स्थिति न केवल बदायूँ बल्कि उत्तर प्रदेश के कई अन्य शहरों की भी है, जहां शहरी विकास की चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। इन समस्याओं का समाधान न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राज्य सरकार के स्तर पर भी आवश्यक है, ताकि इन शहरों को बेहतर जीवन स्तर और विकास के अवसर प्रदान किए जा सकें।

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