भाजपा
भाजपा ने बरेली मंडल और उसके आसपास की सात सीटों पर समीकरणों में बदलाव का सामना किया है। इस बार, बरेली, बदायूं, और पीलीभीत में पुराने दिग्गजों को नजरअंदाज करते हुए भाजपा ने नए चेहरों को प्राथमिकता दी है। इससे साथ ही, पार्टी को विश्वास की चुनौती भी देने का मौका मिला है।
लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, धौरहरा, और आंवला सीटों पर पार्टी ने पुराने चेहरों को ही चुनावी मैदान में उतारा है। इनमें से लखीमपुर खीरी के अजय मिश्र टेनी, धौरहरा के रेखा वर्मा, और आंवला के धर्मेंद्र कश्यप को अपने प्रदर्शन से पार्टी ने साबित करने की चुनौती है।
बरेली मंडल और आसपास की सात लोकसभा सीटों पर पार्टी ने कई पुराने चेहरों को उतारा है, जिन्हें अपने प्रदर्शन से विश्वास को बनाए रखने की चुनौती है। बरेली से पूर्व मंत्री छत्रपाल गंगवार को मौका दिया गया है, जो जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए चुनाव में पार्टी की भागीदारी को बढ़ावा देगा।
सपा-कांग्रेस गठबंधन
सपा-कांग्रेस गठबंधन ने मुस्लिम चेहरों को मुख्यतः बदायूं और पीलीभीत सहित कई सीटों पर उतारा है, जबकि भाजपा को हिन्दू मतों को पूरी तरह साधने की चुनौती है।
बसपा
बसपा ने भी मुस्लिम मतों पर भरोसा किया है, लेकिन हिन्दू मतों में सेंधमारी के लिए प्रयासरत है। इस तरह, इस चुनाव में पार्टियों के प्रदर्शन से परिणाम निर्भर होगा।
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