बदायूं के जिला अस्पताल में इमरजेंसी विभाग में रात 12 बजे के बाद डॉक्टरों की कमी से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कागजों पर तो डॉक्टरों की ड्यूटी दिखाई देती है, लेकिन वे आसपास के कमरों में सोते हुए मिलते हैं। ऐसे में, व्यवस्था प्रशिक्षु फार्मासिस्टों के हाथों में रहती है, जो मरीजों का चेकअप करते हैं और दवा भी देते हैं।
मरीजों को परेशानी:
सोमवार रात 12 बजे, घबराहट और उल्टी से पीड़ित मरीज राजकुमारी को लेकर उनके पति जिला अस्पताल पहुंचे। इमरजेंसी में डॉक्टर और फार्मासिस्ट दोनों ही नदारद थे, और केवल एक प्रशिक्षु फार्मासिस्ट मौजूद था। उसने ही राजकुमारी का इलाज किया।
इसी तरह, नन्हीं देवी को लेकर उनके परिजन भी रात में अस्पताल पहुंचे थे। उन्हें सीने में दर्द था। डॉक्टर के अभाव में, प्रशिक्षु फार्मासिस्ट ने ही उनका इलाज किया।
डॉक्टरों का बचाव:
इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर राजेश वर्मा का कहना है कि रात 11 बजे के बाद बहुत कम मरीज आते हैं, इसलिए वे कमरे में बैठ जाते हैं। मरीज आने पर उन्हें तत्काल देखा जाता है।
सीएमएस का बयान:
सीएमएस डॉ. कप्तान सिंह का कहना है कि अस्पताल में इंटर्नशिप करने वाले फार्मासिस्टों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अगर उनसे काम नहीं कराया जाएगा तो वे काम कैसे सीखेंगे।
निष्कर्ष:
जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी एक गंभीर समस्या है। रात 12 बजे के बाद मरीजों को इलाज के लिए प्रशिक्षु फार्मासिस्टों पर निर्भर रहना पड़ता है। यह व्यवस्था मरीजों के लिए खतरे की घंटी है।
सुझाव:
- जिला अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
- डॉक्टरों की ड्यूटी का समय 24/7 होना चाहिए।
- प्रशिक्षु फार्मासिस्टों को केवल डॉक्टरों की देखरेख में ही काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
- मरीजों की सुविधाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
अतिरिक्त जानकारी:
- जिला अस्पताल में 100 बेड हैं।
- इमरजेंसी विभाग में 4 डॉक्टरों और 4 फार्मासिस्टों की ड्यूटी होती है।
- रात 12 बजे के बाद केवल 1 डॉक्टर और 1 फार्मासिस्ट की ड्यूटी होती है।