बदायूं: गर्मी में एसएनसीयू में नवजातों को खतरा, वॉर्मर की संख्या कम होगी

 

बदायूं: गर्मी में एसएनसीयू में नवजातों को खतरा, वॉर्मर की संख्या कम होगी

बदायूं: गर्मी में एसएनसीयू में नवजातों को खतरा, वॉर्मर की संख्या कम होगी

बदायूं के महिला अस्पताल में स्थित स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में गर्मी के मौसम में नवजातों को खतरा बढ़ सकता है। अभी केवल 12 बच्चों को भर्ती रखने की सुविधा है, जबकि भर्ती इससे अधिक 18 हैं। गर्मी में उनमें इंफेक्शन फैलने का खतरा हो सकता है।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप वार्ष्णेय का कहना है कि अगर वॉर्मर कम होंगे तो भर्ती बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने बताया कि नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में केवल 12 बच्चे भर्ती करने की सुविधा है। पिछले साल यहां गर्मियों में 12 वॉर्मर पर 12 बच्चे ही भर्ती किए जा रहे थे, लेकिन जैसे ही सर्दियां शुरू हुईं लोगों की परेशानी देखते हुए वॉर्मर की संख्या बढ़ा दी गई। धीरे-धीरे एसएनसीयू में वॉर्मर की संख्या बढ़ती गई। अब इनकी संख्या 18 तक पहुंच गई है, जो कि क्षमता से छह अधिक है।

यहां केवल छह स्टाफ नर्स तैनात हैं, जबकि नियम के अनुसार चार वॉर्मर पर एक स्टाफ नर्स होनी चाहिए।

डॉ. वार्ष्णेय ने कहा कि जल्द ही यहां वॉर्मर की संख्या घटाकर 12 कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जब यहां बच्चों की संख्या सामान्य रहेगी तो यहां मृत्युदर भी घटेगी।

एसएनसीयू में वॉर्मर कम होने के फायदे:

  • गर्मी में नवजातों को संक्रमण का खतरा कम होगा।
  • बच्चों की बेहतर देखभाल हो सकेगी।
  • मृत्युदर में कमी आएगी।

यह भी जानना जरूरी:

  • महिला अस्पताल में एसएनसीयू के सामने केएमसी (कंगारू मदर केयर) यूनिट है। यहां बच्चों को मां के साथ रखा जाता है।
  • उनके स्वास्थ्य की रिपोर्ट हर दो घंटे बाद शासन को भेजी जाती है।

निष्कर्ष:

बदायूं के महिला अस्पताल में एसएनसीयू में वॉर्मर की संख्या कम करने का निर्णय नवजातों के लिए फायदेमंद होगा। इससे गर्मी में उनके संक्रमण का खतरा कम होगा और बच्चों की बेहतर देखभाल हो सकेगी।

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