Budaun News: सेकुलर फ्रंट की महापंचायत - बदायूं में सपा के लिए चुनौती बनेंगे आबिद राजा खान और सलीम शेरवानी

बदायूं के सहसवान में आज सेकुलर फ्रंट की महापंचायत होने वाली है। इसमें सपा के पूर्व सांसद सलीम शेरवानी, आबिद रजा और योगेंद्र सिंह तोमर शामिल होंगे।

सेकुलर फ्रंट की महापंचायत: बदायूं में सपा के लिए चुनौती?

बदायूं के सहसवान में आज सेकुलर फ्रंट की महापंचायत होने वाली है। इसमें सपा के पूर्व सांसद सलीम शेरवानी, आबिद रजा और योगेंद्र सिंह तोमर शामिल होंगे। ये तीनों नेता हाल ही में सपा में अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं।

यह महापंचायत सपा के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है, क्योंकि यह बदायूं और संभल लोकसभा सीटों के चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

सलीम शेरवानी का सपा से मोहभंग:

सलीम शेरवानी पांच बार बदायूं से सांसद रह चुके हैं। 2009 में टिकट कटने के बाद उन्होंने सपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था, लेकिन 2019 में वे फिर से सपा में लौट आए थे। 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्हें टिकट नहीं मिलने की संभावना से नाराज होकर उन्होंने सपा से इस्तीफा दे दिया।

आबिद रजा का सख्त रुख:

सपा के राष्ट्रीय सचिव पद से इस्तीफा देने के बाद आबिद रजा सपा पर लगातार हमलावर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि मुसलमानों को नफरत की बुनियाद पर वोट नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अब यादव-मुस्लिम फैक्टर को तरजीह नहीं मिल रही है।

महापंचायत का सियासी असर:

यह महापंचायत सपा के वोट बैंक में बिखराव पैदा कर सकती है। यादव-मुस्लिम गठबंधन सपा की ताकत रहा है, लेकिन शेरवानी और रजा के इस्तीफे से इस गठबंधन में दरार पड़ सकती है।

चुनावी नतीजों पर असर:

2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में सपा ने बदायूं सीट जीती थी, लेकिन 2019 में भाजपा ने यह सीट जीत ली थी। 2024 के चुनावों में सेकुलर फ्रंट के उम्मीदवार सपा और भाजपा दोनों के लिए चुनौती बन सकते हैं।

निष्कर्ष:

बदायूं में सेकुलर फ्रंट की महापंचायत सपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह महापंचायत 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

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