लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में उथल-पुथल मची हुई है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद रविवार को सलीम शेरवानी ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया। शेरवानी बदायूं लोकसभा सीट से पांच बार सांसद रहे हैं।
शेरवानी 2009 से ही सपा से नाराज चल रहे थे। 2009 में सपा ने उनका टिकट काटकर धर्मेन्द्र यादव को प्रत्याशी बनाया था। इस पर शेरवानी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा।
2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भी शेरवानी को टिकट नहीं मिला। 2022 में वह अपने बेटे शाद शेरवानी को शेखूपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन सपा ने हिमांशु यादव को टिकट दे दिया।
शेरवानी को राज्यसभा भेजे जाने की उम्मीद थी, लेकिन सपा ने तीन राज्यसभा प्रत्याशियों के नाम घोषित किए, जिनमें शेरवानी का नाम नहीं था।
शेरवानी ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुसलमानों को दरकिनार किया है। उन्होंने कहा कि सपा में रहते हुए वह मुसलमानों की हालत में ज्यादा बदलाव नहीं ला पाएंगे।
शेरवानी के इस्तीफे से सपा को बड़ा झटका लगा है। लोकसभा चुनाव में सपा को मुस्लिम वोटों की ज़रूरत होगी, और शेरवानी के इस्तीफे से सपा को मुस्लिम समुदाय का समर्थन खोने का डर है।
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