आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है विवाद पंजाब सरकार में साल 2006 में एक फैसला लिया गया जिसके अंदर वाल्मीकि और मजहबी सिखों को महा दलित का दर्जा दिया गया, इस फैसले के तहत वाल्मीकि और मजबही सिखों के लिए शेड्यूल कास्ट के 15% आरक्षण में से आधा आरक्षण इनके लिए रखा जाता लेकिन साल 2010 में जब इस फैसले को चैलेंज किया गया तो हरियाणा हाई कोर्ट आफ पंजाब हाई कोर्ट ने इस फैसले को बर्खास्त कर दिया अब पंजाब सरकार इस फैसले को बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंची है
मंगलवार को जब सुप्रीम कोर्ट की सार्वजनिक बेंच में इस मामले को रखा गया तब दलित समुदाय से आने वाले जज बी गवई ने एक सवाल पूछा
"अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग का एक शख्स यदि आईएएस आईपीएस बन जाता है तो उसके पास बेहतरीन सुविधाएं होती है कोई अभाव नहीं रह जाता इसके बाद भी उसके बच्चे और फिर बच्चों के बच्चों को भी आरक्षण मिलता है सवाल यह है कि क्या यह जारी रहना चाहिए "
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली साथ जजो की बेंच के सामने पंजाब सरकार के वकील जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा
"पिछड़ों में भी अति पिछड़ों की अलग से पहचान करनी चाहिए उन्हें रोजगार के अवसरों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए "
इसी सवाल का जवाब देते हुए सीनियर एडवोकेट निधि गुप्ता ने कहा
"पंजाब में 33 फ़ीसदी दलित अब आती है जिनमें से 29 फ़ीसदी वाल्मीकि भंगी और मजबही सीख है उन्होंने कहा पंजाब सरकार में 81% गवर्नमेंट जॉब्स पर 43% स समुदाय के लोग हैं इसके अलावा 57% लोगों का प्रतिनिधित्व 19% ही है उन्होंने कहा कि अगर किसी पिछला वर्ग वाले व्यक्ति के 56 % अंक आते हैं और फॉरवर्ड क्लास वाले के 99 % अंक आते हैं तो पिछले वर्ग वाले व्यक्ति को प्राथमिकता मिलनी चाहिए इसकी वजह यह है कि फॉरवर्ड क्लास वाले व्यक्ति के पास तमाम सुविधाएं होती हैं वहीं पिछले वर्ग वाले व्यक्ति के पास कोई सुविधा नहीं होती और उसे बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है उन्होंने कहा कि इसी तरह जिन लोगों को एक बार SC कोटा का फायदा मिल जाता है उनके पास सुविधाओं की पहुंचे हो जाती है ऐसे में उन्हें दूसरे लोगों के लिए रहा बनानी चाहिए "
इसके विरोध में वकील जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा
"संविधान बनाने वाले भी यही चाहते थे कि अगर किसी व्यक्ति को एक बार आरक्षण मिल जाए तो वह आरक्षण का लाभ उठाता रहे"
सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर फैसला आने वाले दिनों में सुनाएगी |
bahut sahi decission hai yeh!!!
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