बरेली मंडल: कांग्रेस का दबदबा खत्म
- आजादी के बाद पहली बार, बरेली मंडल की पांच लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं है।
- इन सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं।
- कांग्रेस का जनाधार यहां लगातार कम होता गया है। आखिरी बार 2009 में कांग्रेस ने बरेली और धौरहरा सीटों पर जीत हासिल की थी।
बदायूं: कांग्रेस का दबदबा
- बदायूं लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने आजादी के बाद पांच चुनाव जीते हैं, जो सबसे ज्यादा है।
- 1984 के बाद कांग्रेस यहां नहीं जीत पाई, जब सांसद सलीम इकबाल शेरवानी समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़े थे।
बरेली: कांग्रेस का गढ़
- बरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने आजादी के बाद आठ बार जीत हासिल की है।
- यहां कांग्रेस के सतीश चंद्र और बेगम आबिदा अहमद जैसे चेहरे सांसद रहे हैं।
- अंतिम बार 2009 में कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन ने यहां जीत दर्ज की थी।
आंवला: कांग्रेस का गढ़
- आंवला लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने तीन बार जीत हासिल की है।
- यहां पहली जीत 1967 में सावित्री देवी ने दर्ज की थी।
- 1984 में कल्याण सिंह सोलंकी ने कांग्रेस को जीत दिलाई थी, लेकिन बाद में यह सीट कांग्रेस से दूर हो गई।
पीलीभीत: कांग्रेस का गढ़ नहीं रहा
- पीलीभीत सीट पर कांग्रेस महज चार बार जीत दर्ज कर पाई है।
- यहां पहली जीत मुकुंद लाल अग्रवाल ने दर्ज की थी।
- 1989 में मेनका गांधी ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली और तब से समाजवादी पार्टी यहां नहीं जीत पाई है।
शाहजहांपुर: कांग्रेस का गढ़
- शाहजहांपुर सीट पर कांग्रेस ने सबसे ज्यादा छह बार जीत हासिल की है।
- यहां से भाजपा के जितिन प्रसाद का पिता जितेंद्र प्रसाद चार बार सांसद रहे।
- 2004 में जितिन प्रसाद यहां से जीते थे, जो कांग्रेस की अंतिम जीत थी।
लखीमपुर खीरी: कांग्रेस का गढ़ था
- लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने सात बार जीत दर्ज की है।
- यहां कांग्रेस ने दो बार हैट्रिक लगाई, जिसमें ऊषा वर्मा ने 1980, 84 और 89 में जीत हासिल की।
- 2009 में जफर अली नकवी के जरिये कांग्रेस ने यहां अपनी अंतिम जीत दर्ज की थी।
धौरहरा: नई सीट पर कांग्रेस की एक जीत
- धौरहरा लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई, जहां पहली बार कांग्रेस के जितिन प्रसाद जीते थे।
- लेकिन पिछले दो चुनावों में भाजपा ने यहां जीत हासिल की है।