समाजवादी पार्टी (सपा) को एक बड़ा झटका लगा है, जो आगामी चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
पहला झटका, बदायूं लोकसभा सीट से सपा के प्रत्याशी शिवपाल यादव ने चुनाव से हटने की घोषणा की है। शिवपाल यादव, जो पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बदरंग चाचा हैं, फरवरी में बदायूं से सपा के उम्मीदवार घोषित किए गए थे। हालांकि, टिकट बदलने की अटकलें लगती रहीं और अब शिवपाल ने घोषणा की है कि उनका बेटा आदित्य यादव बदायूं से सपा का प्रत्याशी होगा। यह कदम कई लोगों को आश्चर्यचकित कर गया है और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अभी तक इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सपा के लिए एक और बड़ा झटका, पार्टी के विधायक आशुतोष मौर्य के परिवार ने पलटी मार दी है, जिनकी पत्नी और बहन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गई हैं। खुद आशुतोष मौर्य भी बागी रुख अपना चुके हैं, जिससे बदायूं लोकसभा सीट पर समीकरण बदलने की संभावना है। हाल के राज्यसभा चुनावों में भी सपा के कई विधायकों, जिनमें आशुतोष मौर्य भी शामिल थे, ने भाजपा के उम्मीदवारों के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, जिस पर पार्टी ने कार्रवाई नहीं की क्योंकि दल-बदल कानून के कारण ऐसा करना मुश्किल है।
वहीं, भाजपा ने बदायूं में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं। उन्होंने बदायूं से दुर्विजय सिंह शाक्य को प्रत्याशी बनाया है और मौर्य परिवार का समर्थन मिलने से मौर्य-शाक्य समुदाय में भाजपा की स्थिति और मजबूत होगी।
ये घटनाक्रम निस्संदेह समाजवादी पार्टी के लिए बदायूं लोकसभा सीट पर एक बड़ा झटका हैं, जो पारंपरिक रूप से पार्टी का गढ़ रही है। पार्टी के अंदरूनी राजनीतिक समीकरण और स्वयं के नेताओं व कार्यकर्ताओं की बदलती वफादारियों ने एक जटिल राजनीतिक परिदृश्य पैदा कर दिया है, जिसपर आगामी चुनावों में गौर किया जाएगा।