मुख्य बिंदु:
1. 2022-23 में वन विभाग को इस परियोजना के लिए 6.64 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई थी।
2. इस धनराशि से काम शुरू होना था, लेकिन कुछ कमियों के चलते काम 2022-23 में शुरू नहीं हो सका।
3. साल 2023-24 में काम शुरू हुआ, लेकिन अभी तक पार्क के केवल दो गेट के पिलर बन पाए हैं।
4. कुल निर्माण कार्य अभी 30% से भी कम हुआ है। ऐसे में पार्क का पूरा निर्माण कार्य वित्तीय वर्ष 2025-26 तक भी पूरा नहीं हो पाएगा।
5. वन विभाग के अधिकारी इस धीमी गति से काम होने की समस्या से अवगत हैं और निर्माण कार्य की रफ्तार बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।
प्रस्तावित सुविधाएं:
1. पार्क को दो जोनों - अतिथि जोन और प्रकृति संरक्षण जोन में बांटा गया है।
2. अतिथि जोन में पार्किंग, घूमने-फिरने और पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था होगी।
3. प्रकृति संरक्षण जोन में गंगा के मैदानी इलाकों में पाई जाने वाली वनस्पति और जीव-जंतुओं का संरक्षण किया जाएगा।
4. कछला गंगाघाट पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनेगा।
आगे की चुनौतियां:
1. निर्माण कार्य की धीमी गति को तेज करना एक बड़ी चुनौती है।
2. निर्धारित समय-सीमा में पार्क को पूरा करने के लिए वन विभाग को कठोर प्रयास करने होंगे।
3. इस परियोजना को तय समय-सीमा में पूरा करना महत्वपूर्ण है, ताकि इसका लाभ समय पर मिल सके।