हत्यारोपी साजिद का परिवार मूल रूप से अलापुर थाना क्षेत्र के गांव उपरैला का रहने वाला था। वर्ष 1989 में जन्माष्टमी के मौके पर गांव में पालिकी निकाली जा रही थी। उसी दिन जफरुद्दीन का 12 वर्षीय बेटा हसनू लापता हो गया था। दो दिन बाद उसका गन्ने के खेत में शव पड़ा मिला था।
इस मामले में साजिद के पिता बाबू का नाम सामने आया था। हालांकि पुलिस को उसके खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले थे। इससे पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया था। डर के मारे बाबू और उसके चार भाई उपरैला गांव छोड़कर भाग आए थे और सखानूं में आकर बस गए। तब से उसका परिवार सखानूं में ही रह रहा था।
गांव के 75 वर्षीय बाबू ने बताया कि साजिद के पिता के नाम पर करीब चार-पांच बीघा जमीन है। वह अक्सर उसे पेशगी पर उठा देते हैं। हसनू की एक बहन जुवैदा है। उसकी जलालपुर में शादी हो चुकी है।
यह लेख हसनू हत्याकांड के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ साजिद के पिता की संदिग्ध भूमिका पर भी सवाल उठाता है। यह पाठकों को इस मामले के बारे में सोचने और अपनी राय बनाने के लिए प्रेरित करता है।