बदायूं जिला महिला अस्पताल: अव्यवस्था और लापरवाही का शिकार
बदायूं का जिला महिला अस्पताल, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए समर्पित है, अक्सर अव्यवस्था और लापरवाही की शिकार रहता है। यहां न तो स्टाफ समय पर ड्यूटी पर आता है, न ही मरीजों को उचित इलाज मिल पाता है।
प्रसव कक्ष में डॉक्टरों की लापरवाही:
- सोमवार को, प्रसव कक्ष में डॉक्टर 12 बजे तक नहीं पहुंचीं। गर्भवती महिलाएं चार घंटे तक दर्द से छटपटाती रहीं।
- पांच माह का गर्भ गिरने से गंभीर हालत में लाई गई महिला को भी चार घंटे तक इलाज नहीं मिल सका।
- कई बार प्रसव के नाम पर रुपये लेने और आशाओं के बहला-फुसला कर गर्भवतियों को निजी अस्पतालों में ले जाने के मामले सामने आ चुके हैं।
ओपीडी में डॉक्टरों का इंतजार:
- सोमवार को ओपीडी में चार में से दो चिकित्सकों के कक्ष दोपहर तक खाली पड़े रहे।
- महिला रोगी डॉक्टरों के आने का इंतजार करती रहीं।
हालिया घटनाएं:
- तीन दिन पहले, अलापुर की रहने वाली खुशबू को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजनों ने उन्हें महिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां तैनात स्टाफ ने प्रसव कराने के लिए छह हजार रुपये मांगे तो परिजनों ने जमकर हंगामा किया।
- तीन दिन पहले, कबूलपुरा निवासी रवि अपनी पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर महिला अस्पताल में लेकर आए थे। अस्पताल के कर्मचारी और महिला डॉक्टर ने देखा और हालत गंभीर बताई, लेकिन महिला को भर्ती नहीं किया। थक हारकर परिजन उन्हें निजी अस्पताल ले जाने लगे तो महिला अस्पताल के गेट पर प्रसव हो गया।
प्रशासन की कार्रवाई:
- डॉक्टरों समेत समस्त स्टाफ को समय से ड्यूटी करने के कई बार निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
- गर्भवती को भर्ती न करने पर तीन संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई।
निष्कर्ष:
जिला महिला अस्पताल में महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति घोर लापरवाही बरती जा रही है। प्रशासन को इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और स्टाफ की मनमानी पर रोक लगानी चाहिए।
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- शीर्षक: बदायूं जिला महिला अस्पताल: अव्यवस्था और लापरवाही का शिकार
- मुख्य बिंदु:
- स्टाफ की मनमानी
- अव्यवस्था
- लापरवाही
- गर्भवती महिलाओं का शोषण
- समाधान:
- प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई
- स्टाफ की जवाबदेही
- बेहतर स्वास्थ्य सुविधा
यह लेख लोगों को जिला महिला अस्पताल की वास्तविकता से अवगत कराएगा और प्रशासन से आवश्यक सुधारों की मांग करने के लिए प्रेरित करेगा।