मुख्य बिंदु:
- पिछले साल डेंगू और मलेरिया के दौरान अवैध पैथोलॉजी लैब से गलत रिपोर्ट के कारण मरीजों की जान खतरे में पड़ी थी।
- डीएम ने अवैध लैब बंद करने के आदेश दिए थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
- जिले में केवल 10 लैब पंजीकृत हैं, जबकि 1000 से अधिक अवैध लैब संचालित हो रही हैं।
- अप्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा जांच की जा रही है, जिससे गलत रिपोर्ट मिल रही हैं।
- कई मरीजों को गलत रिपोर्ट के कारण गलत इलाज मिला, जिससे उनकी जान खतरे में पड़ गई।
- झोलाछाप डॉक्टर भी इन अवैध लैब को बढ़ावा दे रहे हैं।
- अवैध लैब मनमाने रेट वसूल रही हैं।
सीएमओ का बयान:
- जिले में अवैध पैथोलॉजी लैब नहीं चलने दी जाएंगी।
- जल्द ही इनके खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
- अवैध लैब संचालकों पर होली के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:
- अवैध लैब गली-मोहल्लों में दुकानें सजाए बैठे हैं।
- इनकी संख्या रोजाना बढ़ रही है।
- कस्बों में हर गली-मोहल्ले में पैथोलॉजी की दुकानें हैं।
- डॉक्टर भी इन लैब को बढ़ावा दे रहे हैं।
- इन लैब की जांच रिपोर्ट के दरें भी अलग-अलग हैं।
- मनमाने रेट व भरोसा न होने के चलते इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।
निष्कर्ष:
अवैध पैथोलॉजी लैब मरीजों के लिए खतरा हैं। इन लैब पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।