बदायूं में शनिवार को संविदा कर्मचारियों ने कलक्ट्रेट पहुंचकर शिकायती पत्र दिया। उनका आरोप है कि उन्हें नियम विरुद्ध तरीके से सेवा समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जो दोषी थे उनको बचाया गया है और जो निर्दोष थे उन पर कार्रवाई की गई है।
कर्मचारी लता चौहान ने कहा कि वे तीनों कर्मचारी एनएचएम के द्वारा सेवारत थे। यदि कोई लापरवाही होती है तो पहले 15 दिन का वेतन काटने का नियम है। कमेटी एक साल की वेतन वृद्धि रोक सकती थी या दूसरे जनपद में स्थानांतरण कर सकती थी। गंभीर आरोपों में ही सेवा समाप्त की जाती है।
कर्मचारी जितेंद्र कुमार ने कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट की जांच में वे तीनों लोग सीसीटीवी कैमरे में नहीं दिखाई दिए थे। उनकी डयूटी भी खत्म हो चुकी थी। इसके बाद भी सेवा समाप्त कर दी गई।
कर्मचारी मुकेश ने कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट ने अपनी जांच में दस नाम दिए थे। जिसमें सबको अलग-अलग दोषी भी बताया गया था। लेकिन डीएम मनोज कुमार की स्वास्थ्य समिति की टीम ने दोषियों को बचाने का काम किया और निर्दोष कर्मचारियों पर कार्रवाई की है। यदि यहां सुनवाई नहीं हुई तो वे कोर्ट जाने को मजबूर होंगे।
डीएम का बयान
डीएम मनोज कुमार ने कहा कि गर्भवती महिला को भर्ती न करना और अस्पताल गेट पर प्रसव होना गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। सिटी मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है।
आगे की कार्रवाई
कर्मचारियों ने डीएम से मांग की है कि उनकी सेवा समाप्ति के आदेश को वापस लिया जाए। यदि उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो वे आगे की कार्रवाई करने को मजबूर होंगे।
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अंतिम टिप्पणी:
यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही और संविदा कर्मचारियों के साथ अन्याय को दर्शाता है। यह देखना बाकी है कि डीएम कर्मचारियों की मांगों पर क्या कार्रवाई करते हैं।