BUDAUN NEWS: बदायूं के आंवला लोकसभा सीट पिछड़ा वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान, भाजपा और सपा के बीच चुनौतीपूर्ण टक्कर

आंवला लोकसभा क्षेत्र से भाजपा और सपा ने अपने-अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया है। इस चुनाव में दोनों ही दलों ने पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों को बड़ा महत्व दिया है। बसपा ने अब तक अपना प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस चुनाव में पिछड़ा वर्ग बहुत आधार पर वोट प्राप्त करने के लिए संघर्षरत हैं। आंवला लोकसभा सीट से भाजपा और सपा दोनों ने ही पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों पर दांव लगाया है, जिससे स्पष्ट है कि दोनों दलों के बीच टक्कर काफी तीव्र होने वाली है।


BUDAUN NEWS: बदायूं  के आंवला लोकसभा सीट पिछड़ा वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान, भाजपा और सपा के बीच चुनौतीपूर्ण टक्कर

इस बार चुनाव में सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका उदाहारण अयोध्या के चुनाव परिणाम से देखा जा सकता है, जहां पीडीए फार्मूले का प्रभाव साफ़ दिखा गया है। भाजपा ने मुफ्त राशन योजना के जरिए पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक में सेंध लगा चुकी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जो दल इस वर्ग में सफलता प्राप्त करता है, वह चुनाव में महत्वपूर्ण पक्ष बन जाता है।


आंवला लोकसभा क्षेत्र में बरेली, पीलीभीत, बदायूं, दातागंज, शेखूपुर, बिथरी चैनपुर, फरीदपुर और आंवला विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। यह सीट मुस्लिम मतदाताओं की संख्या में सबसे अधिक है और इसमें अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या भी बहुत अधिक है। इसके बाद क्षत्रिय, कश्यप, और मौर्य मतदाताओं की संख्या भी है। ऐसे में यह सीधे तौर पर सपा और भाजपा के बीच ही टक्कर बनेगी।


सपा ने पीडीए फार्मूले को बहुत ही सक्रियता से लागू किया है और इससे पिछड़ा वर्ग के वोटर्स को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है। इसके अलावा, बसपा ने संभावित प्रत्याशियों के साथ मुलाकातें करके इस सीट पर सवर्ण प्रत्याशी को भी दांव लगाने की संभावना जताई है। इससे स्पष्ट है कि इस बार आंवला सीट पर चुनाव काफी रोमांचक हो सकता है।


बरेली, पीलीभीत, और बदायूं सीटों पर भी चुनाव में चौंकाने वाले प्रत्याशियों के नामों का इंतजार है। भाजपा ने इन सीटों पर अभी तक अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन उम्मीद है कि वह भी चौंकाने वाले नामों को फिर से सामने लाएंगे।


आंवला सीट का इतिहास दिखाता है कि यह सीट राजनीतिक रूप से बहुत ही दिलचस्प है। इस सीट पर पिछले कुछ चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की है, जबकि सपा और बसपा ने भी इस सीट पर कई बार चुनाव जीते हैं।


अब बसपा के प्रत्तक्षण का इंतजार है, जिससे यह स्पष्ट हो सकता है कि क्या इस बार वह अपने प्रत्याशी को पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार के रूप में उतारेगी। यह सीधे रूप से उभरते चुनावी स्तर पर होने वाले ये विकल्प दिखाते हैं कि आंवला सीट पर हो सकते हैं चुनौतीपूर्ण चुनाव।

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