बदायूं, उत्तर प्रदेश: अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पटेल द्वारा दायर याचिका में, जामा मस्जिद शम्सी की जगह नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है। यह मामला सिविल जज सीनियर डिवीजन/एफसीटी कोर्ट के न्यायाधीश मनीष कुमार तृतीय की अदालत में विचाराधीन है।
मंगलवार को वादी पक्ष के वकीलों ने सर्वे कमीशन के प्रार्थनापत्र पर बहस की। इसके बाद, जामा मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता ने 5 अप्रैल, 2023 के आदेश पर अपना पक्ष रखा और सर्वे कमीशन के प्रार्थनापत्र पर बहस करने के लिए और समय मांगा।
अदालत ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद मामले की सुनवाई 29 फरवरी, 2024 को तय की है।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मामला भारत में मंदिर-मस्जिद विवादों की एक लंबी श्रृंखला में नवीनतम है। यह विवाद 1990 के दशक से चल रहा है, जब हिंदू संगठनों ने दावा किया कि जामा मस्जिद शम्सी एक प्राचीन हिंदू मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी।
आगे क्या होगा?
29 फरवरी को होने वाली सुनवाई में, अदालत सर्वे कमीशन के प्रार्थनापत्र पर फैसला सुनाएगी। यदि अदालत सर्वेक्षण का आदेश देती है, तो यह विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा।
यह विवाद भारत में धार्मिक सद्भाव के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है। अदालत का फैसला दोनों समुदायों के लिए महत्वपूर्ण होगा।